Saturday, May 2, 2009

आब तं वो इ मालिक सं....!

आबं तोकं का कहू
लई ऊन ताप रयस
मकं पानी पानी भयसं
अ मा देनी भाकरी लवकर
खेत मा जाबो सकार सकार
नइ तं लाइन चालली
जाये पसन...
बा को कह दे
म्या नांगर ले जाउन
कुंपन निंदबाको सं
मिरची बी लई बाडी
सकार उकी तोड करनी लागे
अ मा बता न...
औंदा का परनू ज्वारी क बाजरी
मालूम नाय बारीस
होस कि नाय
पसन का करनू
मकं काय बी
समज मा ना आयरो...
आब तं वो इ मालिक सं....


कवि - सतिश चौधरी

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